हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रसिद्ध आदिवासी कवि, लेखिका और पत्रकार जसिंथा करकेटा ने यूएसएआईडी और रूम टू रीड इंडिया ट्रस्ट द्वारा दिए जाने वाले संयुक्त पुरस्कार 'रूम टू रीड यंग ऑथर अवार्ड' को लेने से इनकार कर दिया है। उन्हें यह पुरस्कार उनके कविता संग्रह "जरहूल" के लिए दिया जा रहा था लेकिन उन्होंने ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के नरसंहार युद्ध के विरोध में यह पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने गाजा में नरसंहार युद्ध के दौरान अमेरिका निर्मित हथियारों के इस्तेमाल पर विचार करने का आह्वान किया है। उन्होने अमेरिका की मदद और अमेरिकी कंपनी बोइंग के सहयोग से मिलने वाले सभी प्रकार के अवार्ड लेने से इनकार कर दिया है।
किरकेटा ने कहा, ''मैंने देखा कि रोम टू इंडिया ट्रस्ट बच्चों की शिक्षा के लिए बोइंग कंपनी के साथ भी जुड़ा हुआ है। जब ग़ज़्ज़ा में उन्हीं हथियारों से बच्चों को मारा जा रहा है तो हथियार बनाने और बच्चों की देखभाल करने का व्यवसाय एक साथ कैसे चल सकता है?'' पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा शुरू की गई एक शैक्षिक पहल के लिए रूम टू रेड इंडिया ट्रस्ट के साथ साझेदारी की है। कारकेटा ने बताया, "यह शिक्षा को बढ़ावा देने और युद्ध में इस्तेमाल किए गए हथियारों से मुनाफा कमाने में साझेदारी का प्रतीक है।"
यह पहली बार नहीं है कि क्रिकेट ने कोई पुरस्कार लेने से इनकार किया हो। पिछले साल उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप से अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने मणिपुर में आदिवासी समुदाय के साथ हो रहे व्यवहार के विरोध में यह पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया। प्रसिद्ध लेखिका झाम्या लेहरी के पुरस्कार लेने से इनकार करने के बाद किरकेटा ने रोम टोरिड पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है।